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करूर में चुनावी रैली बनी मौत का मैदान,विजय की रैली में भगदड़ के दौरान 39 की मौत।

इंटरनेशनल डेस्क। तमिलनाडु के करूर में शनिवार की शाम लोकतंत्र के नाम पर मौत का खेल खेला गया। अभिनेता से नेता बने विजय की चुनावी रैली में उमड़ी भीड़ कुचलकर लाशों के ढेर में बदल गई। अंधेरे में डूबी भीड़ में चीखें, भगदड़ और बेबसी के सिवा कुछ नहीं था। न सुरक्षा इंतज़ाम, न निकासी रास्ते—बस नेताओं की सत्ता की भूख और जनता की लापरवाह क़ीमत। 39 लोग मारे गए और 50 से अधिक लोग अस्पतालों में तड़प रहे हैं, जिनकी हालत भी नाज़ुक है। सरकार और नेता शोक संदेशों की ट्वीटबाज़ी में व्यस्त हैं। मुआवज़े के ऐलान उड़ते कागज़ हैं, लेकिन सवाल अब भी वहीं है— अगर भीड़ की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते तो वोट मांगने का हक़ किसे है? करूर का यह हादसा याद दिलाता है कि हमारी राजनीति में जनता सिर्फ भीड़ है, इंसान नहीं

तमिलनाडु के करूर जिले में शनिवार शाम तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) की चुनावी रैली मौत का जाल बन गई। अभिनेता से नेता बने विजय के ‘वेलिचम वेलियरु’ अभियान की इस सभा में अचानक मची भगदड़ ने 39 लोगों की जिंदगी छीन ली, जिनमें 6 मासूम बच्चे और 16 महिलाएं शामिल हैं। हजारों की भीड़ के बीच बिजली गुल होते ही अफरा-तफरी मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए और बचने की कोशिश में कई कुचल गए। 50 से ज्यादा घायल अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना पर शोक जताया, लेकिन सवाल उठता है कि क्या संवेदनाओं से मासूमों की जान वापस आएगी? मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है और रविवार को करूर का दौरा करेंगे। मगर लोगों में गुस्सा है कि नेताओं के शो-ऑफ की राजनीति ने जनता की जान खतरे में डाल दी। करूर की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि राजनीतिक लापरवाही की काली तस्वीर है जिसने पूरे तमिलनाडु को झकझोर दिया है।

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