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जेल में करवा चौथ: बंद दीवारों के बीच रिश्तों ने दिखाई नई रोशनी

उज्जैन। कैद की ऊंची दीवारों और सख्त नियमों के बीच भी रिश्तों की डोर उतनी ही मजबूत दिखाई दी, जितनी बाहरी दुनिया में होती है। करवा चौथ के पवित्र अवसर पर उज्जैन के केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में शुक्रवार का दिन भावनाओं, आस्था और मानवता से भरा रहा। यह आयोजन इस बात का प्रतीक बना कि कैद की दीवारें भी प्यार, आस्था और सुधार की भावना को रोक नहीं सकतीं।

लोहे के दरवाज़े, ऊंची दीवारें, बंद सलाखें… लेकिन इन सबके बीच भी शुक्रवार को उज्जैन की भैरवगढ़ केंद्रीय जेल में चांदनी जैसी उजली आस्था झलकी। करवा चौथ के मौके पर यहां 26 महिला बंदिनियों ने अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा — कुछ के पति उसी जेल में कैद थे, तो कुछ बाहर की दुनिया में अपनी सज़ा काट रहे हैं। शाम ढलते ही जेल का सांस्कृतिक भवन भावनाओं का मंदिर बन गया। जेल प्रशासन ने पूजा की थाली, करवा, दीया और सजी हुई सामग्री उपलब्ध कराई। जब बंदिनियों ने छलनी उठाकर अपने पतियों का चेहरा देखा, तो सलाखों के पार से आती रोशनी और आंखों से छलकते आंसू — दोनों ने एक साथ चमक बिखेरी।

जेल प्रशासन की ओर से पूजा थाली, करवा, दीया और पारंपरिक सामग्री उपलब्ध कराई गई, जिससे बंदिनियों को परंपरागत रीति से पूजा करने का अवसर मिला। इस दौरान जब कई महिलाओं ने छलनी से अपने पतियों का चेहरा देखा, तो उनकी आंखें नम हो गईं। कुछ बंदिनियों ने कहा, “यह पल हमें जिंदगी की नई उम्मीद देता है।” वहीं कुछ ने अपने अपराध पर पछतावा जताते हुए कहा कि अब परिवार और रिश्तों की याद ही सुधार का सबसे बड़ा कारण बन गई है।

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