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सिंगरौली में जमीन विवाद से भाजपा शासन की संवेदनहीनता उजागर, न्याय की गुहार पर पुलिस का दमन, शिकायतकर्ता बना आरोपी।

संवाददाता- सूरज कुमार 

सिंगरौली। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार एक बार फिर गरीबों और आम नागरिकों के साथ प्रशासनिक बर्ताव को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है। जिले के कसर गांव के संतराम साहू मामले ने सरकार की छवि पर गंभीर धब्बा लगा दिया है, क्योंकि जमीन पर कब्जे की शिकायत लेकर पहुंचे पीड़ित पर ही पुलिस ने कार्रवाई कर दी और कब्जा करने वालों पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। संतराम साहू अपनी ही जमीन पर हुए अवैध कब्जे को रोकने की उम्मीद में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। पूरी रात न्याय की प्रतीक्षा करने के बाद भी न तो अधिकारी मिले और न ही सुनवाई हुई। सुबह जब पुलिस पहुंची, तो ग्रामीण को न्याय मिलना तो दूर, परिवार के सामने ही मारपीट कर थाने ले जाया गया।

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जिले के कसर गांव में जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत करने पहुंचे संतराम साहू के साथ पुलिस द्वारा कथित मारपीट और FIR दर्ज किए जाने के मामले ने भाजपा सरकार की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि भाजपा शासन में गरीबों की सुरक्षा और न्याय की बजाय ताकतवरों की सुविधा को प्राथमिकता दी जा रही है। संतराम साहू अपनी ही जमीन पर कब्जा रोकने की उम्मीद लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे और पूरी रात न्याय की प्रतीक्षा में बैठे। लेकिन सुबह उन्हें न्याय नहीं मिला। उल्टा पुलिस परिवार के सामने ही पीटकर थाने ले गई और उसी पर FIR दर्ज कर दी गई। Meanwhile, जमीन पर कब्जा करने वाले लोग बेखौफ हैं।

कांग्रेस नेता श्री कमलेश्वर पटेल ने इस घटना को प्रदेश की शासन व्यवस्था का “असली चेहरा” बताया। उनका कहना है कि भाजपा सरकार गरीब के पक्ष में नहीं, बल्कि दबंगों और ताकतवरों के पक्ष में खड़ी है। घटना स्पष्ट करती है कि भाजपा शासन में गरीब और कमजोर वर्ग लगातार भय और असुरक्षा का सामना कर रहा है, जबकि अवैध कब्जेदारों और दबंगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। सिंगरौली मामला केवल एक व्यक्ति का दर्द नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र की पोल खोलता है, जो गरीबों के अधिकारों के खिलाफ काम कर रहा है और सत्ता का दुरुपयोग कर रहा है।

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