भगवान की ‘डिवाइन कोर्ट’—4 साल के मासूम की तलाश अब महादेव के न्याय भरोसे, पंचों ने लिखा अनोखा फरमान

ग्वालियर। जिले के मोहनपुर गांव से एक महीने पहले लापता हुए 4 साल के मासूम रितेश पाल का सुराग अभी तक नहीं मिला। पुलिस की खोज, पूछताछ और जांच में कोई नतीजा नहीं निकलने पर गांव के लोगों ने अब भगवान की अदालत का सहारा लिया है। गिरगांव स्थित प्रसिद्ध मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर में रविवार को एक अनोखी अदालत बुलाई गई, जिसमें बच्चे की मां, पिता और दोनों पक्षों के परिजन को बुलाकर महादेव के समक्ष सौगंध दिलाई गई। माना जाता है कि इस मंदिर में झूठ बोलने वाले को भगवान महादेव दंड देते हैं। इसी वजह से पंचायत ने पूर्ण विधि-विधान से पंचनामा तैयार कराया। पंचों की मौजूदगी में बच्चे की मां सपना, उसका भाई, पिता दलवीर और दादा ने महादेव के सामने कसम खाई कि यदि बच्चे के गायब होने में उनका हाथ है तो 5 दिन के भीतर उन्हें 50 हजार रुपये का नुकसान हो जाए या फिर जनहानि हो। इसी शर्त को लिखित रूप में भी तैयार किया गया।
जिले मे चार साल के मासूम रितेश पाल की एक महीने से जारी गुमशुदगी ने पूरे गांव को हिला दिया है। पुलिस की जांच जहां शून्य पर आकर थम गई, वहीं ग्रामीणों ने अब अदालतों से ऊपर ‘भगवान महादेव की न्यायपालिका’ का दरवाज़ा खटखटाया है। गिरगांव के प्रसिद्ध मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर में रविवार को एक अनोखी सुनवाई हुई—जो किसी रहस्य, आस्था और दर्द का मिश्रण लग रही थी। मंदिर के प्रांगण में बाकायदा पंच बैठे, चबूतरे पर कागज़ रखे गए, और दोनों पक्षों को बुलाकर अदालत का माहौल तैयार किया गया। बच्चे की मां सपना, उसका भाई, पिता दलवीर और दादा—सबको महादेव के सामने कसम दिलाई गई। फरमान भी लिखा गया कि “यदि बच्चे की गुमशुदगी में जिस किसी का भी हाथ होगा, उसे 5 दिन के भीतर 50 हजार का नुकसान या फिर जनहानि होगी।” आस्था से भरा यह दृश्य देखकर हर कोई स्तब्ध था। एक तरफ मां का दर्द था—जिसे अपने ही पति और ससुराल वालों पर शक है। दूसरी तरफ पिता दलवीर था—जो कह रहा है कि यदि वह दोषी निकले तो स्वयं महादेव उसका जीवन तक ले लें। गांव में मान्यता है कि इस अदालत में झूठी सौगंध लेने वाला बच नहीं पाता। गांव में पहले भी कई विवादों में “दिव्य दंड” का हवाला दिया जाता रहा है। इसलिए अब पूरा क्षेत्र 5 दिन की प्रतीक्षा में है—कि आखिर किस पर महादेव का कोप पड़ेगा और कौन बेदाग साबित होगा। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है—जब पुलिस और व्यवस्था किसी गरीब की आवाज़ नहीं सुनती, तो क्या लोग इसी तरह ‘दिव्य अदालतों’ पर निर्भर होते जाएंगे? लेकिन फिलहाल मोहनपुर का हर घर एक ही बात कह रहा है— “महादेव फैसला देंगे… और इस बार कोई झूठ बच नहीं पाएगा।”




