पेड़ों की कटाई पर सरकारी उदासीनता से ग्रामीण नाराज़, कांग्रेस की आवाज़ दबाने की कोशिश? 17 हिरासत में

सिंगरौली। जिले के वासी बेरदहा क्षेत्र में पेड़ों की बड़े पैमाने पर हो रही कटाई ने स्थानीय ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है। अडानी कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक क्षेत्र में अनुमति के नाम पर जारी कटाई को लेकर लोग लगातार विरोध जता रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्तर पर उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं सुना जा रहा, जिससे नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसी मुद्दे को लेकर शनिवार को जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) की टीम फाटपानी गांव होते हुए प्रभावित इलाके का जायजा लेने निकली। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार पेड़ों की कटाई और पर्यावरणीय प्रभावों को नज़रअंदाज़ कर रही है, जबकि ग्रामीणों की आजीविका और जंगल पर निर्भरता सबसे बड़ा मुद्दा है।
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वासी बेरदहा के जंगलों में पेड़ों की कटाई शुरू होते ही ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गई, लेकिन सरकारी तंत्र की तरफ़ से उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही। स्थानीयों का आरोप है कि प्रशासन ने वन कटाई पर सवाल उठाने वालों को अनसुना कर दिया है। इसी बीच कांग्रेस ने कदम बढ़ाते हुए एक बार फिर जन–सरोकार की राजनीति का उदाहरण पेश किया। जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण) की अध्यक्ष सरस्वती सिंह के नेतृत्व में टीम शनिवार को जंगल की स्थिति देखने और गांव वालों से मिलने निकल पड़ी। लेकिन जैसे ही फाटपानी गांव पहुंचा जा रहा था, पुलिस की तीन परतों वाली बैरिकेटिंग सामने खड़ी थी। कांग्रेसियों ने दो बैरिकेट पार कर लिए, तीसरे पर पहुंचे ही थे कि पुलिस ने उन्हें रोक लिया और 17 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। हिरासत में जाते हुए भी कांग्रेस कार्यकर्ता ग्रामीणों की आवाज़ बुलंद करते रहे। उनका कहना था— “सरकार जंगल काट रही है, और जो आवाज उठाए… उन्हें रास्ते से हटाया जा रहा है।” स्थानीय ग्रामीणों ने कांग्रेस की इस पहल को सकारात्मक बताया। उनका कहना है कि सरकार भले चुप हो, लेकिन कांग्रेस ने कम से कम उनकी चिंता सुनी





