फिर जिले मे झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से 09 माह की गर्भवती महिला की मौत!

सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की घटना ग्रस्त तस्वीरे किसी से छुपी नहीं हैं। हर दिन सरकारी अस्पतालों में लापरवाही, एंबुलेंस की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं की विभिन्न कमियो की खबरें सामने आ जाती हैं। लेकिन सबसे चौंकाने वाली और जांच की विषय पर बात करने वाली बात यह है कि अब ये झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम आदिवासी जनता की जिंदगीयो के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी ने यह साफ कर दिया है कि कहीं न कहीं जिम्मेदार अधिकारी ही इस खेल को संरक्षण दे रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की घटना ग्रस्त तस्वीरे किसी से छुपी नहीं हैं। हर रोज सरकारी अस्पतालो मे स्वास्थय सुविधाओ और लापरवाही गतिविधियो की चर्चाए होती रहती है। मगर सबसे महत्वपुर्ण और चौंकाने वाली बात यह है कि अब ये झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम आदिवासी जनता की जिंदगीयो के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जगह-जगह कब्जा किए, ये फर्जी डॉक्टर न तो किसी मान्यता की डिग्री प्राप्त है इनके पास और न ही इनके पास मरीजों का इलाज करने की कोई सही जानकारी। इसके बावजूद खुले संरक्षण में ये सब हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीएमओ स्तर के अधिकारी तक इन झोलाछाप डॉक्टरों की जानकारी पहुचनी चाहिए।
खुटार क्षेत्र में कुछ महीने पहले 09 माह की गर्भवती महिला की झोलाछाप डॉक्टर की आधी जानकारी की वजह से दर्दनाक मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर स्थानीय मीडिया और ग्रामीणों ने तब तक आवाज उठाई, जब तक स्वास्थ्य विभाग की नींद नही टूटी। जब घटना के करीब दो महीने बाद मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी। तब तक एक और मासूम जिंदगी मौत के मुंह में समा चुकी थी। यहा सिर्फ खुटार ही नहीं, बल्कि शिवपहड़ी, सरई, नौगई , शासन और कई अन्य आदिवासी बहुत क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या अत्यधिक है। यहां ये लोग खुलेआम इलाज के नाम पर जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग बताते हैं कि स्वास्थ्य अधिकारी कभी-कभार आ जाते हैं लेकिन जांच-कार्रवाई करना तो दूर बिना देखे ही चुपचाप लौट जाते हैं। सवाल यह उठता है कि जब कोई कार्यवाई उन्हे करनी तो फिर यहा आकर इतनी मेहरबानी क्यों? क्या वाकई जिम्मेदार अधिकारियों को इन झोलाछापों से मिलने वाला “मिठाई का स्वाद” ज्यादा अच्छा लग रहा है? स्थिति यह है कि इन झोलाछाप डॉक्टरों की न तो कोई पहचान साफ है और न ही इनके पंजीयन का कोई रिकॉर्ड है । यहा बंगाल और कोलकाता से आए लोग यहां बिना किसी योग्यता के डॉक्टर की दुकान सजा बैठे हैं और गरीब-आदिवासी जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को इनकी जानकारी होते हुए भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे संदेह और भी गहरा हो जाता है कि कहीं न कहीं उच्चस्तरीय संरक्षण प्राप्त है।पहले से ही बहुत से आदिवासी जनता गरीबी और संसाधनो की कमी से जूझ रहे है , उन्हे अब इन झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है । जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी ने यह साफ कर दिया है कि कहीं न कहीं जिम्मेदार अधिकारी ही इस खेल को संरक्षण दे रहे हैं। अगर जल्द ही कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो सिंगरौली की यह समस्या बहुत बड़ा रूप ले सकती है।





