इंदौर चूहाकांड- जयस कार्यकर्ताओं का अर्धनग्न प्रदर्श,एक बच्ची की मौत नहीं पूरे सिस्टम की हत्या है।

इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में दो नवजात बच्चियों की चूहों द्वारा कुतरकर हत्या कर दी जाती है – और पूरे सिस्टम को जैसे सांप सूंघ जाता है। न कोई सस्पेंशन, न कोई FIR, न कोई जिम्मेदारी। सवाल उठता है – क्या अब चूहे तय करेंगे कि अस्पतालों में कौन जिंदा रहेगा?
मिली जानकारी के अनुसार एमवाय अस्पताल में चूहों द्वारा नवजात बच्चों को कुतरने की शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना को एक महीना होने को है, लेकिन प्रशासन अब तक केवल “जांच चल रही है” और “कार्रवाई की जाएगी” जैसे खोखले आश्वासन दे रहा है। इस घोर लापरवाही की कीमत दो मासूमों ने अपनी जान देकर चुकाई, मगर जिम्मेदार अधिकारी अब तक अपने पदों पर बने हुए हैं। दरअसल 30 अगस्त को एमवाय अस्पताल में जो हुआ, वह किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था। आदिवासी समुदाय की एक नवजात बच्ची, जिसे मां की गोद में होना चाहिए था – अस्पताल के बिस्तर पर चूहों का शिकार बन गई। एक और बच्ची की भी संदिग्ध मौत हुई। और एक महीना बाद भी, प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
‘जयस’ के कार्यकर्ताओं का अर्धनग्न प्रदर्शन– रविवार को जयस कार्यकर्ताओं ने अर्धनग्न होकर रैली निकाली – यह कोई नाटक नहीं, यह उस पीड़ा की चीख थी जिसे प्रशासन लगातार अनसुना कर रहा है। गांधी प्रतिमा से लेकर कलेक्ट्रेट तक नारों की गूंज रही – लेकिन अफ़सरशाही के कान अब भी बंद हैं।
आखिर कौन बचा रहा है दोषियों को?- एमवाय अस्पताल के डीन और अधीक्षक अब भी कुर्सी पर जमे हुए हैं। क्यों? क्या इनका राजनीतिक संरक्षण है? क्या आदिवासी बच्चियों की जान की कोई कीमत नहीं? जयस की मांगें साफ हैं – सस्पेंशन, FIR, और मुआवज़ा। लेकिन सरकार की तरफ़ से सिर्फ़ “जांच चल रही है” जैसी घिसी-पिटी पंक्तियाँ सुनने को मिल रही हैं।





