थानेदार की शर्मनाक करतूत! 14 साल की बच्ची से रेप, SHO बोला—“लाओ, मैं खुद चेक कर लूं रेप हुआ या नहीं”

नेशनल डेस्क। फिल्लौर (जालंधर) मे 14 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में थाना फिल्लौर के एसएचओ भूषण कुमार को गंभीर लापरवाही और अनुचित व्यवहार के आरोप में लाइन हाजिर कर दिया गया है। आरोप है कि एसएचओ ने पीड़िता की मां से कहा—“लाओ, मैं खुद चेक कर लूंगा कि रेप हुआ है या नहीं।” इतना ही नहीं, उन्होंने महिला को अपने सरकारी आवास पर बुलाने के लिए भी दबाव बनाया।
न्याय की गुहार लगा रहे एक पीड़ित परिवार को पुलिस थाने में संवेदनशीलता और सुरक्षा की बजाय भ्रष्ट और शर्मनाक व्यवहार का सामना करना पड़ा। फिलौर में 14 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म के एक भयावह मामले में, थाना एस.एच.ओ. भूषण कुमार ने कानून के रक्षक की भूमिका छोड़कर, पीड़िता की मां से कथित रूप से कहा कि वह खुद “चेक” करके तय करेंगे कि दुष्कर्म हुआ है या नहीं। इस निंदनीय बयान के बाद बवाल मच गया है।
यह घटना न केवल जघन्य अपराध की पीड़िता, बल्कि उसकी मां के साथ पुलिस अधिकारी द्वारा किए गए मानसिक उत्पीड़न को दर्शाती है। पीड़ित परिवार ने बताया कि जब वे आरोपी लड़के के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंचे, तो एस.एच.ओ. भूषण कुमार ने जांच के नाम पर पीड़िता की मां को बार-बार अकेले अपने सरकारी आवास पर बुलाने का दबाव बनाया। पीड़िता की मां को लगातार आ रही इन कॉल्स से जब पति को संदेह हुआ, तब जाकर उन्होंने पूरा घटनाक्रम सबके सामने रखा। पुलिस की इस घिनौनी हरकत ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पड़ोस के एक लड़के ने लड़की का नहाते हुए वीडियो बना लिया और ब्लैकमेलिंग के ज़रिए उसे अपना शिकार बनाया। 23 अगस्त की रात, माता-पिता ने चीख सुनकर आरोपी को अपनी बेटी के कमरे में रंगे हाथों पकड़ा। आरोपी परिवार ने अगले दिन मामले को दबाने की कोशिश करते हुए शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे पीड़िता के माता-पिता ने ठुकरा दिया और इंसाफ के लिए पुलिस के दरवाज़े खटखटाए। जब पुलिस की तरफ से कोई मदद नहीं मिली और उल्टा एस.एच.ओ. द्वारा उत्पीड़न शुरू हो गया, तब लोक इंसाफ मंच के कार्यकर्ता इस मामले को एस.एस.पी. जालंधर के संज्ञान में लाए। वरिष्ठ अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी एस.एच.ओ. भूषण कुमार को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं, पुलिस ने अब जाकर आरोपी लड़के के खिलाफ दुष्कर्म का मुकद्दमा दर्ज कर उसे पुलिस रिमांड पर लिया है। एस.एच.ओ. ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सिर्फ जांच के लिए फोन करने का तर्क दिया है।





