बस स्टैंड पर ‘जंजीरों का कैदी’, इंसानियत की आँखें नम—पुलिस बनी सहारा

दमोह। जिले के मड़ियादो क्षेत्र में गुरुवार दोपहर एक ऐसी घटना सामने आई जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। स्थानीय बस स्टैंड पर एक व्यक्ति गले, हाथ और पैरों में लोहे की जंजीरें बंधी हुई हालत में घिसट-घिसटकर चलता नजर आया। यह दृश्य देख लोग सन्न रह गए, लेकिन पुलिस के आने तक कई लोग सिर्फ तमाशबीन बने रहे।
जिले के मड़ियादो बस स्टैंड पर गुरुवार दोपहर एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने भी देखा, उसकी रूह काँप गई। धूप से तपती जमीन पर एक आदमी गले, हाथ और पैरों में भारी लोहे की जंजीरें बांधे हुए, हाथों के सहारे घिसट-घिसटकर आगे बढ़ रहा था। लोग रुककर देखते रहे—कुछ हैरान, कुछ दुखी… लेकिन मदद करने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। तभी किसी ने पुलिस को खबर दी। कुछ ही देर में मड़ियादो पुलिस पहुंची और यह ‘जंजीरों का कैदी’ बने व्यक्ति को आज़ाद करवाया। उसका नाम हीरालाल प्रजापति, निवासी विनती गांव। जंजीरों से मुक्त होते ही वह फूट-फूटकर रो पड़ा। हीरालाल ने जो कहानी बताई, वह और भी दर्दनाक थी। उसके मुताबिक, शराब की लत से परेशान परिवार ने ही उसे जंजीरों में कैद किया था। बेटे ने पैरों में ताला लगाया और पत्नी ने बंधे रहने के दौरान उस पर पत्थर फेंके। शराब छुड़ाने का ये तरीका उसे तोड़ गया—और किसी तरह वह घर से निकलकर बाजार तक पहुंच गया। थाना प्रभारी शिवानी गर्ग का कहना है कि घटना गंभीर है और पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है—क्यों बांधा गया? किसने बांधा? और क्या यह मजबूरी थी या मारपीट का मामला? जंजीरों में जकड़े इंसान का यह दृश्य एक सवाल छोड़ गया— क्या लत से लड़ने का समाधान कैद है, या संवेदनशीलता की कमी?





