जैन संत आचार्य आर्जवसागर महाराज ने रचा इतिहास, USA, UN और एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड से हुए सम्मानित

अशोकनगर। भारत की पवित्र धरती पर जन्मे जैन संत आचार्य आर्जवसागर महाराज ने विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति और अहिंसा का परचम लहरा दिया है। आध्यात्म, साहित्य, समाजसेवा और अहिंसा के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें अमेरिका (USA), संयुक्त राष्ट्र (UN) और एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सम्मानित किया है।
भारत की आध्यात्मिक परंपरा और जैन दर्शन को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाने वाले जैन संत आचार्य आर्जवसागर महाराज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। उन्हें यूएसए (USA), संयुक्त राष्ट्र (UN) और एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड (Asian Book of World Records) द्वारा सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें आध्यात्म, साहित्य, समाजसेवा और अहिंसा के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में किए गए उनके विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि से न केवल जैन समाज, बल्कि पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। आचार्य आर्जवसागर महाराज का संपूर्ण जीवन तप, त्याग, अनुशासन, करुणा और चारित्र का प्रतीक रहा है। वे वर्षों से समाज को धर्म, नैतिकता और संयम का मार्ग दिखा रहे हैं। उनके प्रवचन और शिक्षाएँ अहिंसा, शाकाहार, नशामुक्ति और शिक्षा के प्रसार पर केंद्रित रहती हैं, जिनसे लाखों लोग प्रेरणा ले चुके हैं। वर्ष 2023 में आचार्य आर्जवसागर ससंघ का चातुर्मास अशोकनगर में संपन्न हुआ था। इस दौरान उन्होंने युवाओं को नैतिक जीवन जीने, हिंसा और नशे से दूर रहने तथा समाज में करुणा का संदेश देने का आह्वान किया था। यूएसए, यूएन और एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन उन व्यक्तित्वों को सम्मानित करते हैं, जिन्होंने मानवता, संस्कृति और ज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया हो। आचार्यश्री को यह सम्मान उनके द्वारा रचित ग्रंथों जैसे ‘मुरज बंध’, ‘अंतादि शतक’ सहित अन्य आध्यात्मिक कृतियों, उनके सान्निध्य में हुए सामाजिक और धार्मिक अभियानों, तथा समाज सुधार में उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया है।