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झारा धान खरीदी केंद्र में आदिवासी किसानों की ज़मीन पर फर्जीवाड़ा, समिति प्रबंधक और ऑपरेटर पर गंभीर आरोप।

सिंगरौली। जिले के झारा धान खरीदी केंद्र में एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आदिवासी किसानों की जमीनों का पंजीयन इस बार भी व्यापारियों के नाम पर कर दिया गया है। आरोप है कि यह पूरा खेल झारा समिति के प्रबंधक शूरसेन जायसवाल और ऑपरेटर सुभाष चंद्र जायसवाल की मिलीभगत से रचा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार एक किसान जो पूरी उम्मीद और मेहनत से धान की फसल उगाता है जब वह फसल बेचने केंद्र पर पहुंचा तो उसे पता चलता है कि कागज़ों में उसकी ज़मीन अब उसकी नहीं रही। गौरवतल है की वर्ष 2024 में भी झारा और निवास समितियों में इसी प्रकार की अनियमितताएं उजागर हुई थीं मगर तब प्रशासन की कार्रवाई नाममात्र ही रही। नतीजा ये हुआ कि इस बार फिर वही घोटाला खुलेआम दोहराया गया। बताया जा रहा है की झारा समिति में रजनिया, बंजारी, गड़ई और आसपास के गांवों के आदिवासी किसानों की जमीनों का पंजीयन व्यापारियों के नाम से कर दिया गया है। यह तब उजागर हुआ जब गड़ई गांव के भानुप्रताप सिंह ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि वह एक अशिक्षित आदिवासी किसान हैं और उनकी जानकारी के बिना ही उनकी जमीन का पंजीयन संतोष कुमार जायसवाल (निवासी सुरगा, तहसील सरई) के नाम से कर दिया गया है। जब वे स्वयं अपना पंजीयन कराने पहुंचे तब उन्हें इस धोखाधड़ी की जानकारी प्राप्त हुई। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार अमित मिश्रा ने बयान देते हुये कहा कि सभी पंजीकृत खातों की जांच करवाई जाएगी। यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद

आदिवासी किसानों और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने अब भी समय रहते कार्रवाई नहीं की तो आने वाले वर्षों में ये धान खरीदी केंद्र भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाएगा और गरीब किसानों का हक लगातार छीना जाएगा।

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