एक तरफ प्रधानमंत्री के हाथों केन-बेतवा लिंक का हुआ शिलान्यास तो दूसरी तरफ ग्रामीणो ने काला दिवस के रूप में मनाते हुए परियोजना स्थल पर ही लकड़ी बटोरकर उसकी चिता बनाकर और जलाकर उस पर लेटकर किया प्रदर्शन।

मध्यप्रदेश। एमपी के छतरपुर जिले मे जहां एक तरफ पीएम मोदी के हाथों केन-बेतवा लिंक का शिलान्यास हुआ तो वही दूसरी तरफ नाराज ग्रामीणो ने उस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हुए परियोजना स्थल पर ही लकड़ी बटोरकर उसकी चिता बनाकर और जलाकर उस पर लेटकर प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना के शिलान्यास से नाराज आदिवासी और ग्रामीणों ने काला दिवस मनाया। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में प्रभावित लोग दौधन बांध के निर्माण स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र हुए और सांकेतिक चिता बनाकर उस पर लेट कर प्रदर्शन किया। वहीं ग्रामीणों/प्रभावितों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया की उसने अपना सब कुछ खो दिया, पर फिर भी हमारे साथ अन्याय क्यों हो रहा है? ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना ने उनके जीवन, माटी और आजीविका को नष्ट कर दिया है। ग्रामीणो ने कहाँ की परियोजना के लिए अपने खेत, घर और सांस्कृतिक पहचान का त्याग किया। लेकिन बदले में उन्हें फर्जी ग्राम सभाओं, लाठीचार्ज और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा। ग्रामीणो का आरोप है की हमारी जमीन सरकार ने ले ली, लेकिन न मुआवजा मिला और न पुनर्वास। मुआवजे में भ्रष्टाचार हुआ और हमारी आवाज को दबा दिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने कहा कि यह परियोजना न केवल 46 लाख पेड़ों की कटाई और पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को नष्ट करेगी। बल्कि 22 गांवों के आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को उनकी पहचान और अधिकारों से वंचित कर रही है। यह परियोजना विकास नहीं, बल्कि विनाश का प्रतीक बन चुकी है।