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एमपी मे पत्रकारों के साथ बर्बरता,एसपी ने पत्रकारों को चप्पलों से पिटवाया!

मध्यप्रदेश। एमपी के भिंड जिले मे लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर और निंदनीय घटना प्रकाश मे आया है। यहाँ पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में पत्रकारों को बड़ी ही बेरहमी से चप्पलों से पिटाई किया गया है। उक्त मामले को लेकर जीतू पटवारी ने x पर पोस्ट किया है की भिंड जिले में एसपी असित यादव द्वारा कई पत्रकारों को चप्पलों से पीटवाना क्या भाजपा शासित मध्यप्रदेश में “नया लोकतंत्र” है? • जिस खाकी वर्दी को जनता की सुरक्षा के लिए पहनाया गया, वो अब आतंक और दमन का प्रतीक बनती जा रही है। खनन माफियाओं को लेकर सवाल पूछने पर अगर पत्रकारों को पुलिस थाने में चप्पलों से पीटा जाता है, तो आम जनता की क्या बिसात बचती है?

पीड़ित पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान 

मिली जानकारी के अनुसार पत्रकार धर्मेंद्र ओझा के घर को पुलिस ने रात्रि में 12:00 बजे घेर लिया और उनका मोबाइल छुड़ाकर जो अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे वह पूरी तरह से डिलीट कर दिए दिए। स्थानीय पत्रकारों ने हाल ही में भिण्ड पुलिस द्वारा की गई कथित लापरवाहियों और आम नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें प्रकाशित की थीं। इन खबरों में पुलिस के भ्रष्टाचार, अवैध बसूली अवैध रेत खनन और थानों में हो रही है मनमानी और आम जनता से दुर्व्यवहार की घटनाओं को उजागर किया गया था। इन्हीं खबरों से नाराज़ पुलिस ने, पत्रकारों को बुलाकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में ही उनके साथ मारपीट की। ” पत्रकारों ने वीडियो जारी कर अपने खिलाफ पुलिस द्वारा झूठे मामले में फंसाने अथवा हत्या करवाने का भी पुलिस पर आरोप लगाया है ।

पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने कड़ा ऐतराज जताया है उन्होंने इस घटना को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला बताया है, उन्होंने कहा पत्रकारों को चप्पलों से सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस की अवैध वसूली और अन्य कृत्यों की ख़बरें दिखाई थी। मुख्यमंत्री को तत्काल इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश देना चाहिए। अगर दोषी पुलिसकर्मी बख्शे गए, तो यह और भी खतरनाक उदाहरण बनेगा।

 

भिंड जिले में एसपी असित यादव द्वारा कई पत्रकारों को चप्पलों से पीटवाना क्या भाजपा शासित मध्यप्रदेश में “नया लोकतंत्र” है? • जिस खाकी वर्दी को जनता की सुरक्षा के लिए पहनाया गया, वो अब आतंक और दमन का प्रतीक बनती जा रही है। खनन माफियाओं को लेकर सवाल पूछने पर अगर पत्रकारों को पुलिस थाने में चप्पलों से पीटा जाता है, तो आम जनता की क्या बिसात बचती है? • मोहन यादव जी, आप लोकतांत्रिक राज्य के मुख्यमंत्री हैं या एक अघोषित तानाशाही के संचालक ? आपका राज विरोध को कुचलने, अभिव्यक्ति को दबाने और संविधान के मूल्यों को रौंदने का परिचायक बनता जा रहा है! • क्या आप इस घटना पर कार्रवाई करेंगे या चुप्पी साधकर यह संदेश देंगे कि माफियाओं के संरक्षण में पुलिस की गुंडागर्दी आपकी सरकार में फल-फूल रही है? – जीतू पटवारी

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