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शिक्षा की अग्रदूत बनी पुस्तक वाली दीदी उशा दुबे।

सिंगरौली। जिले में चलते-फिरते पुस्तकालय के माध्यम से बच्चों को मोबाइल और टीवी से दूरी बनाने में सफलता मिली है। शासकीय प्राथमिक पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरई पूर्व में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। पिछले तीन वर्ष में पुस्तकालय में पढ़ने वाले नौ बच्चे राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति योजना परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल रहे हैं। इसके साथ ही बालिका सशक्तिकरण कार्यक्रम में डीपाल और डीपीएस स्कूल में दो छात्राओं का चयन हुआ है। अब ये छात्र निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लगातार अच्छे परिणाम आने से निजी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं शासकीय स्कूल में पढ़ने आ रहे हैं।

पुस्तक वाली दीदी पूजा दुबे ने बताया कि कोरोना महामारी के 18 महीने बाद जब विद्यालय खुले तब हमने पूरे उत्साह और समर्पण से काम करना शुरू किया। पूजा दुबे ने बताया कि हमारे विद्यालय के छात्र लगातार 3 वर्षो से उत्कृष्ट विद्यालय चयन परीक्षा और नेशनल मिन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप स्किम जैसे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हमने बच्चों के लिए बहुत सारे टीचिंग लर्निंग मटेरियल तैयार किये अपने विद्यालय को छात्रों की बनाई पेंटिंग से सजाया है।  जिसे देख छात्रो में अलग ही उत्साह जागृत होता है।

बच्चो को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए विद्यालय में की साबुन बैंक स्थापना- पुस्तक वाली दीदी के नाम से मशहूर शिक्षिका पूजा दुबे ने बताया कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक करने हेतु हमने अपनी विद्यालय में एक साबुन बैंक बनाया है,जिसमें विद्यालय के शिक्षक और छात्र अपने-अपने जन्मदिन पर एक साबुन का दान करते हैं। इस साबुन का उपयोग बच्चे और शिक्षक शौचालय से निकलने के बाद और मध्यान्ह भोजन करने से पहले अपने हाथों को धुलने के लिए करते हैं। उन्होने बताया कि वर्तमान में हमारे विद्यालय के साबुन बैंक में 400 साबुन स्टॉक में हैं। बच्चे और उनके अभिभावक विद्यालय के साबुन बैंक में साबुन दान कर बहुत खुश होते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकें पढ़ने के साथ-साथ हमने गांव के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने,विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन में मतदाता जागरूकता जैसे जागरूकता अभियान में सहभागिता जिसका हमें सकारात्मक परिणाम देखेने को मिला। शिक्षिका पूजा दुबे ने कहा कि कोई भी कार्य कठिन नही होता अगर मन में दृ़ढ़ इच्छा शक्ति हो हर कार्य एक समय पर सुखद परिणाम देने लगता है। इनका मानना है कि महिला शसक्तिकरण के लिए शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना सबसे अच्छा विकल्प है। शिक्षित महिला अपने अधिकरो के प्रति हर समय सजग रहती। साथ ही समाज में महिला को शसक्त करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। हमे प्रयास ये करना होगा कि हर महिला शिक्षित हो अगर महिला शिक्षित होगी तो समाज अपने आप शिक्षित हो जायेगा।

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